साहेब, आप सच बयां करते हैं
कविता
साहेब, आप
सच बयां करते हैं
वरुण
शर्मा
साहेब आप सच बयां करते हैं,
बलात्कार, मास मॉलेस्टशन में गलती लड़कियों की होती है,
‘शक्कर गिरेगी तो चींटी ज़रूर आएगी’
‘खूबसूरत औरतें हैं प्रियंका गाँधी से भी कई’
संविधान सभा में तो यूँ ही गैर बराबरी पर हाय तौबा हुई थी.
यदा यदा ही धर्मस्य की तर्ज पर,
मर्दों ने कसम खाई है,
जब जब कोई लड़की बुर्का, माइक्रो, मिनी-मैक्रो स्कर्ट, घाघरा लूगडी पहन- घर से बाहर
जाएगी,
तब तब हम ज़िम्मेदारी लेंगे उसे नोच वापस लाने की.
साहेब आप ठीक कहते हैं,
तेजाब से मुँह जलाकर लड़की का जीवन आबाद होता है,
गैर मर्दों से ‘बचाना’ और ‘बजाना’ ही तो मर्द का धर्म है,
‘औरत खुली तिजोरी है’ तो सुना ही होगा आपने,.
आपका कहा गलत साबित करना ऐसा है,
जैसे गोधरा में दंगे हुए ही नहीं साबित करना,
जिन्नाह को मनाना की हम हम सब एक थे,
ट्रम्प को विश्वास दिलाना की ग्लोबलवार्मिंग चीन में बना खिलौना नहीं है.
तो जनाब, हम मान गए की आप ठीक ही कहते हैं.
03.02.2017. 08.00 (GMT+05:30) पर प्रकाशित